रविवार, 24 सितंबर 2023

जन्नत में 72 नहीं केवल 2 हूरें मिलेंगी

 इस लेख का शीर्षक पढ़ते ही उन मुस्लिमों को 440 वोल्ट बिजली का झटका लगेगा   ,जो  जिहाद के नाम से आतंक ,फसाद  और निर्दोष लोगों  की हत्या  किया करते  है ,और मानते हैं  कि जिहादी  होने से जन्नत में उनको  72 सील पैक  यानि कुमारी  हूरें   मिलेंगी    ,और लेख में दी गयी प्रमाणिक हदीस को पढ़ कर साजिद रशीदी  और मदनी जैसे सभी मुल्लों  की दाढ़ी  नोच लेंगे  जो अपने बयानों में जन्नत  की 72 हूरों का वर्णन  करते  है जिस से प्रभावित हो कर मुसलमान हूरों के आभाव में  घर में ही  अपनी बहिनों  और बेटियों   से ही  हूरों जैसा व्यहवार  करने  लगते  हैं  .

1-मुसलमान जरा विचार करें 

अगर मुसलमानों  में थोड़ी सी भी बुद्धि  होती  तो  समझ  जाते  कि जब  अल्लाह ने अपने प्रिय रसूल  और  सबसे बड़े जिहादी को जीवन में केवल एक ही  सील बंद  कुवारी पत्नी  आयशा  दी  थी   और बाकी सभी   10 पत्निया   टूटी सील वाली  यानि  सेकेण्ड हैण्ड अर्थात दूसरे लोगों  द्वारा इस्तेमाल की गयी  दी  थीं  ,तो  अल्लाह सामान्य  जिहादियों  को 72 सील बंद  हूरें  कैसे  दे सकता  है  ?क्या अल्लाह  का दिमाग  ख़राब  हो गया है ?

2-यह हदीस कैसे मिली  ?

14 सितम्बर  2023 को हमने डाक से पारसी धर्म ग्रन्थ जेन्द अवेस्ता मंगाया  था जो 20 तारीख को मिल गया  इसमें  बहिश्त यानि जन्नत   का वर्णन  करते  हुए एक जगह  लिखा है  पारसी और इस्लामी किताब के यह समानता है कि दौनों में जन्नत वालों  को दो पत्नियां  देने  का वादा किया गया है  ,और इस्लामी किताब के लेखक का नाम  Yazīd Ibn Mājah   " बताया गया है  ,और चार घंटे तक लगातार अरबी उर्दू और अंगरेजी में सर्च  करके हदीस  के संकलनकर्ता नाम  ,हदीस किताब  का नाम  और हदीस  के नंबर मिल गए  

3-हदीस की किताब का परिचय 

हदीस की इस किताब का नाम "सुन्नन इब्ने माजह -  : سُنن ابن ماجه  " है  , और हद्दिसों के संकलनकर्ता का नाम  "अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद इब्न यजीद इब्न माजह अल रबी अल कजवीनी  ابو عبد الله محمد بن يزيد بن ماجه الربعي القزوين  "  है ,इनका काल सन 824 से सन 887 ईस्वी तक है इन्होने 4000 हदीसें जमा की हैं  जो 1500 बाब यानि अध्यायों में विभक्त  है  इनकी हदीस की किताब सुन्नी प्रमुख छह प्रामाणिक  हदीसों में माना   जाता  है नोट -यह हदीस   की किताब"सुन्नन इब्न मजा  سنن ابن ماجه  - "के बाब 37 "किताब अल जहद -كتاب الزهد " में  दी गयी  है  

4-मुख्य हदीस अरबी  में 

" عَنْ أَبِي أُمَامَةَ، قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ ـ صلى الله عليه وسلم ـ ‏ "‏ مَا مِنْ أَحَدٍ يُدْخِلُهُ اللَّهُ الْجَنَّةَ إِلاَّ زَوَّجَهُ اللَّهُ عَزَّ وَجَلَّ ثِنْتَيْنِ وَسَبْعِينَ زَوْجَةً ثِنْتَيْنِ مِنَ الْحُورِ الْعِينِ وَسَبْعِينَ مِنْ مِيرَاثِهِ مِنْ أَهْلِ النَّارِ مَا مِنْهُنَّ وَاحِدَةٌ إِلاَّ وَلَهَا قُبُلٌ شَهِيٌّ وَلَهُ ذَكَرٌ لاَ يَنْثَنِي 

5-Eng Trans

It was narrated from Abu Umamah that the Messenger of Allah (ﷺ) said:

“There is no one whom Allah will admit to Paradise but Allah will marry him to seventy-two wives, two from houris and seventy from his inheritance from the people of Hell

6-हिंदी अनुवाद 

अबू उमामा ने कहा कि रसूल ने बताया कि हरेक व्यक्ति जो जन्नत में दाखिल होगा अल्लाह उसकी शादी बहत्तर औरतों  से कर देगा  ,जिन में दो हूरें  होंगीं ,और सत्तर उन लोगों  की विरासत होंगी जो जहन्नुम  की आग में जल रहे होंगे 

Reference : Sunan Ibn Majah 4337

In-book reference : Book 37, Hadith 238

English translation : Vol. 5, Book 37, Hadith 4337

https://sunnah.com/ibnmajah:4337

7-हदीस के मुख्य शब्दों के अर्थ 

इस हदीस में जो खास अरबी  शब्द प्रयुक्त किये गए है उनका उच्चारण और अर्थ  दिए जा रहे हैं जिस से कोई शंका नहीं रहे 

1-( زَوَّجَهُ )=ज़ौजह -पत्नी .wives

2-(ثِنْتَيْنِ وَسَبْعِينَ )=सनैन व सबऊन -दो और सत्तर यानि बहत्तर .seventy-two 

3-(ثِنْتَيْنِ مِنَ الْحُورِ)=सनैन मिनल हूर -हूरों में से दो ,two from houris 

4-(وَسَبْعِينَ مِنْ مِيرَاثِهِ مِنْ أَهْلِ النَّارِ)=व सबइन मिनल अहले नार -और सत्तर आग में पड़े लोगों -from the people of Hell

5-(مِنْ مِيرَاثِهِ )=मिन मीरास -वसीयत में से .his inheritance 

अब इतना पुष्ट प्रमाण देने पर वह फिल्म निर्माता लोगों के सामने क्या कहेगा जिसने 72 हूरों  के नाम से लोगों को धोखा दिया  है  ,मुसलमान खुद फैसला करे जब जन्नत में  भी  अल्लाह मुसलमानों  को हूरों की जगह  कई पीढ़ी  तक इस्तेमाल  की गयी बेकार कबाड़  हो चुकी औरतें  देगा ,तो जन्नत के लिए  जिंदगी बर्बाद करना  मूर्खता नहीं  तो और क्या  है  ,और  अच्छा  तो यही होगा कि जन्नत की हूरों चक्कर छोड़ कर  अपनी ही पत्नी के साथ प्रेम  से रहें  मुल्लों  की झूठी बातों पर  भरोसा नहीं  करें  ,  और झूठेबाज अल्लाह पर ईमान  नहीं रक्खें  ,

आखिर में हम सभी पाठको को साक्षी  रख कर उन सभी  इस्लाम के वकीलों को चुनौती देते है जो अक्सर टीवी पर   अपनी  चतुराई दिखाते है  ,वह  इस हदीस को  झूठा साबित करके दिखाएँ   

सही बात तो यह है कि जन्नत में 70 कबाड़ हो चुकी  जर्जर   बदबू दार पुरानी औरतें   दी जाएँगी  

(509)


शुक्रवार, 22 सितंबर 2023

अल्लाह क्या देगा ?रसूल क्या लेगा ?

 लेना और देना एक  सामान्य और स्वाभाविक कार्य है  , यदि कोई  आपको कोई चीज  देता है  बदले आपसे  कोई चीज  जरूर  लेगा  ,यह  नियम सभी  पर लागु  है  

इस्लाम के अलावा सभी धर्म यही चाहते हैं ,कि मनुष्य अपना जीवन परोपकार और प्राणिमात्र के कल्याण के लिए समर्पित कर दे .और इसके बदले ईश्वर उसे इस जीवन में सुख शान्ति और मोक्ष या मुक्ति प्रदान करेगा उत्तम व्यक्ति ईश्वर से केवल ज्ञान और आत्मशान्ति मांगते हैं.

चूँकि इस्लाम का उद्देश्य मानव कल्याण नहीं है ,और मुसलमानों की इच्छा इस जीवन में और मरकर जन्नत में अय्याशी करना है .और मुसलमान भी अल्लाह से यही माँगते रहते हैं .इस्लाम का आधार सेक्स होने के कारण अल्लाह मुसलमानों को जन्नत में जो कुछ देगा उसके सिर्फ दो नमूने दिए जा रहे हैं .इसी तरह रसूल भी मुसलमानों से बदले में उनकी जो चीज मांगता है ,वह भी बताई जा रही है .

1 -अल्लाह सौ लोगों के बराबर संभोगशक्ति देगा -

"रसूल ने कहा कि ईमान वालों को जन्नत में सम्भोग करने के लिए इतनी शक्ति प्रदान की जायेगी कि वह सौ लोगों के बराबर सम्भोग कर सकेगा .जब रसूल से पूछा गया कि क्या व्यक्ति इतना सम्भोग कर सकेगा ,तो रसूल ने कहा कि हाँ ,उसे सौ आदमियों के बराबर सम्भोग की शक्ति मिलेगी .

 وقال الرسول الكريم : 'إن المؤمن وستعطى قوة كذا وكذا في الجنة لممارسة الجنس. وتساءل البعض : يا نبي الله! يمكن فعل ذلك؟ وقال : "انه سوف تعطى قوة مائة شخص.

The Holy Prophet said: 'The believer will be given such and such strength in Paradise for sexual intercourse. It was questioned: O prophet of Allah! can he do that? He said: "He will be given the strength of one hundred persons.

Reference : Jami` at-Tirmidhi 2536

In-book reference : Book 38, Hadith 14

English translation : Vol. 4, Book 12, Hadith 2536

https://sunnah.com/tirmidhi:2536

2 अल्लाह ऐसा लिंग देगा जो सदा खडा रहेगा 

"अबू उमम की रिवायत है ,कि अल्लाह के रसूल ने कहा कि ,अल्लाह जिसे भी जन्नत में दाखिल करेगा ,उसे संभोग के लिए 72 औरतें दी जाएँगी .जिसमे दो हूरें होंगी और 70 उसकी सहायक होंगी .और सम्भोग के लिए उस व्यक्ति का लिंग सदा खडा रहेगा ."

" وكل منهم أجهزة شبق الجنس وانه سوف يكون لها أي وقت مضى القضيب. ' " 

Abu Umama nrrated: "The Messenger of God said, 'Everyone that God admits into paradise will be married to 72 wives; two of them are houris and seventy of his inheritance of the [female] dwellers of hell. All of them will have libidinous sex organs and he will have an ever-erect penis.' "

Reference : Sunan Ibn Majah 4337

In-book reference : Book 37, Hadith 238

English translation : Vol. 5, Book 37, Hadith 4337

https://sunnah.com/ibnmajah:4337

3-इसके बदले मुहम्मद को क्या चाहिए 

आप सोच रहे होंगे कि मुहम्मद मुसलमानों को यह वरदान मुफ्त में दिलवा देगा .वह भी मुसलमानों से जो चीज मागता है ,वह खुद बताता है .आप खुद देखिये -

"रसूल ने कहा कि जो भी अपनी दौनों टांगों के बीच की चीज (लिंग )और अपने होंठ मुझे सौप देगा उसी को जन्नत में जगह मिलेगी "

حدثنا ‏ ‏محمد بن أبي بكر ‏ ‏حدثنا ‏ ‏عمر بن علي ‏ ‏ح ‏ ‏و حدثني ‏ ‏خليفة ‏ ‏حدثنا ‏ ‏عمر بن علي ‏ ‏حدثنا ‏ ‏أبو حازم ‏ ‏عن ‏ ‏سهل بن سعد الساعدي ‏ 

‏قال النبي ‏ ‏صلى الله عليه وسلم ‏ ‏من توكل لي ما بين رجليه وما بين لحييه توكلت له بالجنة ‏

Muhammad ibn Abi Bakr, Umar ibn Ali narrated and told me Khalifa Umar ibn al-Ali told us told us Abu Hazim from Sahl bin Saad Al-Saadi: 

The Prophet peace be upon him said: Whoever entrusts to me what is between his legs and what is between his lips will be granted paradise.

Reference : Sahih al-Bukhari 6807

In-book reference : Book 86, Hadith 36

USC-MSA web (English) reference : Vol. 8, Book 82, Hadith 799

https://sunnah.com/bukhari:6807

  इस विरण से साफ साबित होता है कि इस्लाम कोई धर्म नहीं है .और मुहम्मद के साथ अल्लाह भी सेक्स के रोगी हैं .यही कारण है ,कि इम्पेक्ट की गैंग हर बात पर भगऔर लिंग की बात करते रहते हैं .जब उनका अल्लाह और रसूल इस गंदी मानसिकता के हैं ,तो मसलमान शरीफ कैसे हो सकते 

यदि यह लोग व्यक्तिगत आक्षेप लगायेंगे तो विवश होकर हमें "इस्लामी कामसूत्र "या "रसूल लीला "प्रकाशित करना पडेगा .

(181/155)(21/11/2010



गुरुवार, 14 सितंबर 2023

क्या हिन्दू शब्द मुस्लिम लाये थे ?

 (नोट -कुछ दिनों पहले  हैदराबाद निवासी हमारे  प्रबुद्ध पाठक श्री विजय रेड्डी जी ने पूछा था कि क्या यहाँ के लोगों का हिन्दू नाम  मुस्लिम   हमलावरों ने रखा  था ?उनको उत्तर केलिए हम अपने पुराने लेखों  के अंश लेकर यह लेख दे रहे  ,रेड्डी  जी  " हिन्दू स्वराज्य स्वातंत्र्य   महोद्यम " नामकी संस्था के अध्यक्ष  है )

      पिछले कई वर्षों  से मुस्लिम हमलावरों के वंशज ओवैसी नेताओं ने अपने पुरखों के  अत्याचारों पर परदा डालने के लिए यह बात  फैला राखी है कि जब मुस्लिम  विजेता भारत में आये तो उन्होंने यहाँ के लोगों को हिन्दू  नाम  दिया था  जिसका अर्थ जाहिल  ,असभ्य  और अशिक्षित होता है  और कुछ सेकुलर कांग्रेसी भी इन मुस्लिम नेताओं  की बातों  के सुर में सुर मिलाने लगे जिस से भोले हिन्दू भी इसे सच समझने  लगे  ,जबकि  सच्चाई तो यह है की  हिन्दू शब्द बाइबिल , इस्लाम से पूर्व अरबी साहित्य में भी मिलता है ,यहाँ तक अरब में हिन्दुओं का इतना आदर होता था की लोग  अपने लडके का नाम  "हिन्द -هند " और लड़की का नाम "हिंदा - هنده " रख कर गर्व  करते थे ,यहाँ तक की ईरान में भी हिन्दू युवतियों की सुंदरता के बारे में इतनी ख्याति थी शायर भी अपनी कविताओं में वर्णित करते थे  उल्लेखनीय बात तो यह है कि एक हदीस में भगवा वस्त्रधारी (हिन्दू ) को जन्नत में आदर से  प्रवेश  दिए जाने का   उल्लेख है  ,इस लेख में संक्षिप्त में यह बात दी गयी है ताकि हमारे हिन्दू भाइयों  का भ्रम मिट जाये 

1-बाइबिल  में  हिन्दू का उल्लेख 

भारत और  इजराइल का सम्बन्ध   हजारों  साल  पुराना है   . भारत की तरह इस्राएल   का इतिहास भी गौरवशाली है  ज़िस समय अरब के लोग  काफिले  लूटा  करते थे  , इजराइल  में  सोलोमन(solomon)   जैसा प्रतापी  राजा राज करता  था  ,  उसके समय (970-931BC  )  में   भारतीय   सामान  समुद्री  मार्ग इस्राएल  भेजा जाता था  . भारत का  उल्लेख  बाइबिल  में  अनेकों  जगह   मिलता  है  , कुछ  उदाहरण देखिये ,"फिर हाराम के जहाज जो  "ओफीर Ophir  " ( भारत  का एक  बंदरगाह  सोपारा  जो  मुंबई के पास है )  से  सोना लाते थे वह राजा के लिए चन्दन की लकड़ी  और रत्न    ले  आये  .  राजा   ने  सोना  यहोवा  ( ईश्वर )  के  मंदिर में  लगवाया  और चन्दन  की  लकड़ी से  भजन गाने  वालों  के लिए वीणा और  सारंगियां  बनवा दी " 

1 - राजा 10 :11 -12 

"समुद्री    मार्ग  से  तर्शीश  के लोग जहाज भर कर सोना ,चांदी  , हाथीदांत , बन्दर  , और  मोर   ले  आते थे  , इस  से राजा  सोलोमन  सभी  राजाओं  में बड़ा राजा  बन  गया  "

 1 राजा 10 :22 -24 

नोट - इस आयत में हिब्रू  में  बन्दर  के लिए " कॉप "   शब्द  आया है ,जो  संस्कृत  शब्द "कपि "  से लिया गया है   . उल्लेखनीय  बात यह है  कि  उस समय इस आयत में वर्णित  सभी  चीजें  सिर्फ  भारत में ही  मिलती  थी  . 

इसके अतिरिक्त  बाइबिल में दो बार स्पष्ट  रूप  से भारत  का  नाम  दिया गया   है  , हिब्रू  भाषा में भारत को "होदुव -הֹדּוּ  "कहा  गया है  , जो  सिंधव( होंदुव )     शब्द  का  अपभृंश  है  , और  इसी से  हिन्दू  शब्द बना  है  बाइबिल  के अंगरेजी अनुवाद में इसे  "india" कहा  गया है  , जो  सिंधव  शब्द  का  अपभृंश  है  , और  इसी से  हिन्दू  शब्द बना  है  बाइबिल  के अंगरेजी अनुवाद में इसे "हिंदुस्तान   "लिखा  गया  है  . यह दो आयतें  इस प्रकार हैं ,

"दादानी लोग व्यापारी  थे वे कई  द्वीपों   हाट  लगाते थे  , और  इस्राएल के लिए हाथी  दांत  और  आबनूस की  लकड़ी   लाते थे " यहेजकेल 27:15 -17 

 यह क्षयर्ष  नामके राजा के  समय की  बात है  ,जो 127  प्रांतों  और हिंदुस्तान से  कूश  देश तक राज  करत था " एस्तेर 1:1 

फिर राजा  ने  लेखक  बुलवाये  और उनसे यहूदी  और   हिंदुस्तान  से कुश  देश तक सभी  राजाओं  को    पत्र लिख कर भेजने को कहा " एस्तेर 8:9 -10 

2-अरबी शायरी में  हिन्दू का उल्लेख 

 अरबी शायर   " अबू नुवास  -(أبو نواس  " है ,इसका पूरा नाम "अबू नुवास अल हसन बिन हांनी बिन अब्दुल अव्वल बिन सालिह अबू अली -   الحسن بن هانئ بن عبد الأول بن الصباح ،ِابو علي)  " है  ,इसका काल 756 ई से  814 ई तक है  , और इसकी किताब का नाम  "दीवाने  अबू नुवास -ديوان ابي نواس

  "  है  , इस दिवान का कई भाषाओँ में अनुवाद  हो चूका  है  ,  फारसी शायर  उम्र ख्याम  ने इस से प्रभावित होकर  शराब  की तारीफ में   काफी लिखा  है ,  नुवास की शायरी  का नमूना   देखिये  ,

لا تَبْكِ ليلى ، ولا تطْرَبْ إلى هندِ،                  واشْرَبْ على الوَرْدِ من حمراء كالوَرْدِ-  1

न  तो  लैला के लिए   रोते रहो और न "हिन्द " (हिन्दू लड़की "  की कामना करो  , बल्कि  गुलाब से बनी गुलाबी शराब   पिया   करो

Do not weep for Layla, and do not exult over Hind /, but instead drink to the rose of the rosy wine!

3-अरबी  हिन्दू   महिला     हिन्दा 

पांचवीं   सदी  तक अरब में  हिन्दू  धर्म और संकृति   का  इतना प्रभाव  था  कि लोग  अपनी  पुत्रियों   का नाम " हिन्दा -هند" रख  देते  थे . हिन्दा  अर्थ  "भारती "  होता  है . उदाहरण  के लिए अरब  के पश्चिम  भाग  के  उमय्या  खानदान   के  सरदार "अबू सुफ़यान  बिन  हरब - " की पत्नी  का नाम " हिन्दा  बिन्त उतबा -هند بنت عتبة"   था .यह मुसलमानों  के   पांचवे  खलीफा    मुआविया   की   माता थी .और हिन्दू  होने   के  कारण इसने  मुहम्मद  साहब  के  चलाये  गए  नए  धर्म  इस्लाम   का  काफी   विरोध   किया था . और  उहुद  के युद्ध  में   हिन्दा  ने   वीर  रस  की  कवितायेँ  सूना  कर  हिन्दू  युवकों  में मुहम्मद  के  विरुद्ध  युद्ध  करने के  लिए जोश   भरने   का   काम   किया  था .यही  नहीं   इतने  युद्ध में चंडिका    माता  कि  तरह  अली  के  बड़े भाई  ' हमजा '  का  सीना  चीर   कर  कलेजा  बाहर   निकाल   दिया  था .इसने  युद्ध भूमि  में  जो जोशीली   कवितायेँ   सुनाई थी , उन  में से  एक  यहाँ  दी  जा  रही 

5-हिन्दा की  कविता  में  हिन्दुओ  का   उल्लेख 

इस्लाम   से पहले  अरब  के लोग अपने ऊंटों   से व्यापार   करते  थे .चूँकि  मदीना  यमन  -सीरिया  व्यापार  मुख्य  मार्ग  में  पड़ता  था  .  लेकिन  जब   मुहम्मद  साहब  के   जिहादी    मदीना  के लोगों   के  काफिले   लूटने   लगे  तो  मक्का  और  मदीना   के   लोगों  में युद्ध  होने  लगे . ऐसे  ही  युद्ध  में  सन  622  में    ने   हिन्दा के  भाई   और  चाचा   की   हत्या  कर  दी   . हिन्दा  ने  विलाप  करते   हुए अपने  पति  अबू  सुफ़यान   से  मक्का वालों   से  अपने  पिता भाई  और चाचा  की ह्त्या   का  बदला    लेने  का वचन   लिया  .इसी   करण  दिनांक 19 मार्च   सन  625 ईस्वी  में जो  युद्ध  हुआ  था  उसे "गजवये उहद -  غزوة أحد‎ "   कहा  जाता  है .इस युद्ध  में   हिन्दा  ने  भी  भाग  लिया  था और मैदान  में आकर  अपनी  कविताओं  से  हिन्दुओं   में   जोश भरने  का काम  किया   था .उस  मूल  अरबी   कविता  और  उसका  हिन्दी    का  अनुवाद यहाँ  पर  दिया   जा रहा  है .युद्ध में  हिन्दा  ने अपने  पति और उसके सेनापति  को  सम्बोधित  करके   कहा ,

زواجها من أبي سفيان[عدل]

ذكروا أن هند بنت عتبة بن ربيعة قالت لأبيها: يا أبت، إنك زوجتني من هذا الرجل ولم تؤامرني في نفسي، فعرض لي معه ما عرض فلا تزوجني من أحد حتى تعرض علي أمره، وتبين لي خصاله. فخطبها سهيل بن عمرو وأبو سفيان بن حرب، فدخل عليها أبوها وهو يقول:

"أتاك سهيل وابن حرب وفيهما  رضاً لك يا هند الهنود ومقنع

وما منهما إلا يعاش بفضله  وما منهما إلا يضر وينفع

وما منهما إلا كريم مرزأ  وما منهما إلا أغر سميدع

فدونك فاختاري فأنت بصيرةٌ  بل ولا تخدعي إن المخادع يخدع  "

"हे  महान  हिन्दू  और  हे हिंदुओं  के सिरमौर ,सुहैल बिन  हरब ,मुझे  संतोष हुआ  क़ि तुमने  हिंदुओं  की  पीड़ा  को समझा   है .सचमुच  तुम दूरदर्शी   हो .और  तुम  उन्हीं  लोगों  को  हानि  पहुंचाने वाले  हो , जो केवल  अपना लाभ  चाहते  हैं ,और जो    धोखे बाज   और  लुटेरे  हैं . मेरी  इच्छा  है कि  इस युद्ध  में  आप   सफल  हो और  लोग  ह्रदय से आपकी तारीफ  करते  रहेंगे  "

उल्लेखनीय  बात  है  कि  इस  कविता  में  अरबी  में " या  हिन्द अल हिनूद -  يا هند الهنود -"  शब्द     साफ  साफ   दिया गया है , जिसका हिंदी में  अर्थ  " हिन्दू  और हिन्दू  धर्म  वालो  "  होता  है

4-खदीजा के बच्चों के नाम हिन्द और  हिंदा 

खदीजा  की पहली शादी 

जब खदीजा  करीब  14 साल    की हुई  तो सन 569 ई ० खुवालिद ने  खदीजा की शादी   एक   धनवान  व्यापारी "अतीक  बिन  आबिद  बिन  अब्दुलाह बिन  मख्जूम   عتيق بن عابد بن عبد الله  بن مخزوم،  -   " कर  दी .उस समय मुहम्मद का जन्म भी नहीं हुआ था 'खदीजा  के पहले पति अतीक से जो 3  बच्चे   पैदा हुए इनमे एक पुत्र और दो पुत्रियां  थीं

उनके नाम  इस प्रकार  हैं , 

  1-  अब्द इलाह इब्न   अतीक -عبد الله ابن عتيق  - पुत्र -बचपन में मर गया

.2-जायरा बिन्त अतीक - زائره بنت عتيك  -पुत्री

 3-हिंदा बिन्त अतीक -هند بنت عتيق-पुत्री

ख़ुवैलद  की तरह  अतीक ने भी व्यापार में बहुत धन  कमाया  , लेकिन कुरैश और दूसरे कबीले के  साथ लड़ाई में   अतीक की हत्या हो गयी  , और बच्चों  की जिम्मेदारी खदीजा पर  आगयी  , उस समय  खदीजा की आयु 27 साल   थी  , इसलिए ख़ुवैलद  ने खदीजा  की  फिर  से शादी  करा   दी

3-खदीजा की दूसरी  शादी

 ख़ुवैलद  ने  सन 582 ई ० में खदीजा की शादी  "मलिक इब्न अल नबाश अल  तैयमी -ملك ابن النباش التميمي  " से   करा   दी ,  यह भी एक व्यापारी  था ,इस दूसरे पति से भी खदीजा की जो संतानें  हुईं  इनके नाम  इस प्रकार  हैं  ,

1-तय्यब इब्न मालिक -طيّب ابن ملك-पुत्र

2-ताहिर इब्न मलिक -طاحر ابن ملك-  पुत्र

3-हारिस इब्न मलिक -حارث ابن ملك- पुत्र

4-जैनब बिन्त मलिक -زينب بنت ملك-पुत्री

5-हिन्द बिन्त मलिक -هند بنت ملك-पुत्री

6-हालाह बिन्त मलिक -هاله تنت ملك-  पुत्री

खदीजा के दूसरे पति ने भी खूब धन इकठ्ठा किया  , लेकिन  दुर्भाग्य अपनी   6 संतानें (3 पुत्र  और 3 पुत्रियां  )  छोड़ कर  मर  गया   ,

 और इसके कुछ महीने  बाद   ही  एक युद्ध में खदीजा का पिता ख़ुवैलद  भी सन 585 ई ० में  मर  गया  ,

5-फारसी शायरी में हिन्दू शब्द 

फारसी के प्रसिद्धशायर    ख्वाजा  मुहमम्मद शमशुदीन  शिराजी ने अपने दीवान   में हिन्दू  युवती की सुंदरता के बारे में कहा  है 

"بده ساقی می باقی که در جنت نخواهی یافت

کنار آب رکن آباد و گلگشت مصلا را

"اگر آن ترک شیرازی به دست آرد دل ما را

به خال هندویش بخشم سمرقند و بخارا را

बि दह साकी मये बाकी कि दर जन्नत न ख़्वाही  याफ़्त 

किनारे  आबे रुकनाबाद   गुलगश्ते मसल्ला   रा 

अगर आन तुर्के शीराजी बदस्त आरद दिले मारा 

बिखाले हिन्दु अश  बख़्शम समरकन्दो बुखारा  रा 

हे साकी तेरे पास जीतनी शराब  बची हो देदो  क्योंकि जन्नत में रुकनाबाद नदी का किनारा   औरमौसम   नहीं मिलेगा   .अगर मुझे   तुर्की  और शिराज  का राज्य  भी मिल जाये तो  मैं   हिन्दू युवती की सुंदरता  के तिल के बदले  दे दूंगा 

6-हिन्दू जन्नत में जायेंगे 

अरबी  में मूल   हदीस Arabic  -

عن معاذ رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال‏:‏ ‏ "‏من قاتل في سبييل الله من رجل مسلم فواق ناقة وجبت له الجنة، ومن جرح جرحًا في سبيل الله أو نكب نكبة فإنها تجيء يوم القيامة كأغزر ما كانت‏:‏ لونها الزعفران، وريحها كالمسك‏"‏

मुआज ने कहा की रसूल ने बताया की  जो लोग जन्नत जायेंगे उनके कपड़ों का रंग केसरिया  होगा जिस से  कस्तूरी की सुगंध   आ रही होगी 

नोट - इस हदीस  की  अंतिम  लाइन  बहुत  महत्वपूर्ण  है  ,

 क्योंकि इसमें अरबी में लिखा  है '

‏ لونها الزعفران، وريحها كالمسك‏"‏  "

"  लोनहा  अज जाफ़रान व्  रीह  हा कमिस्ले मुस्क 

https://sunnah.com/riyadussalihin:1296

इन प्रमाणों से स्पष्ट सिद्ध होता है की हिन्दू शब्द    उस  समय भी मौजूद था जब इस्लाम और मुस्लिम शब्द भी नहीं था    और हिन्दू का अर्थ   जाहिल या काफिर  नहीं  है  बल्कि  हिन्दू जन्नत  जाने के अधिकारी    है  ,अतः हमारी सभी  ईसाइयों  और मुस्लिमों  को चुनौती  है इन  प्रमाणों  का खंडन  करके  दिखाएँ  

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मंगलवार, 12 सितंबर 2023

अपराधों की प्रेरणा कुरान से !

 भारत के लगभग सभी राजनीतिक दलों में कुछ ऐसे जिहादी विचार वाले नेता है , जो गुप्त रूप से इस्लामी कट्टरवाद का समर्थन करते हैं .लेकिन अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए भेड़िये तरह सेकुलरिज्म रूपी भेड़ की खाल ओढ़  लेते हैं . और लोगों का ध्यान बटाने के लिए  दूसरों पर संप्रदायवादी होने का आरोप लगा देते हैं 

.विश्व का शायद कोई ऐसा देश होगा ,जो धार्मिक विचारों की भिन्नता के आधार पर भेदभाव, नस्लाद , जातिवाद ,तानाशाही ,नारी उत्पीडन .दासप्रथा ,लूट ,फिरोती , वेश्यावृत्ति , जैसे जघन्य कामों को अपराध नहीं मनाता हो .और इनको धार्मिक कर्तव्य मानता हो .केकिन बहुत कम लोग जानते होंगे  कुरान एकमात्र ऐसी किताब है , जो मुसलमानों को इन सभी अपराधों के करने की प्रेरणा देती है .और यही नहीं ऐसे अपराध करने वालों के लिए जन्नत का वादा भी करती है .प्रमाण के लिए कुरान के यह आदेश देखिये ,कि कुरान से प्रेरित होकर लोग कैसे कैसे अपराध करते हैं, जिनका दुष्प्रभाव से सम्पूर्ण मानव जाति नष्ट हो सकती है .

1-सम्प्रदायवाद 

जो लोग सिर्फ अपने ही धर्म को सही मानते हैं , और उस से भिन्न विचार रखने वालों को प्रताड़ित करते हैं , वही सम्प्रदायवादी होते हैं .खुद को सेकुलर कहने वालों को चाहिए कि कुरान की इन आयतों को ठीक से पढ़ें .कि सम्प्रदायवाद कौन फैला रहा है .

जो लोग न तो उस बात को हराम मानते हैं ,जो रसूल ने हराम बताई हो .और जो न तो इस धर्म (इस्लाम ) को कबूल करते हों ,तो उनसे इतने लड़ो कि वह मजबूर होकर जजिया देने लगें "

सूरा -तौबा 9 :29 

निश्चय ही उन लोगों ने अपराध किया है , जो मानते हैं कि मरियम का पुत्र खुदा है "

सूरा -माइदा 5 :72 

यहूदी कहते हैं कि उजैर खुदा के बेटा है ,और ईसाई कहते हैं कि ईसा खुदा का बेटा है

 "सूरा -तौबा 9 :30 

हे नबी तुम ऐसे सभी काफिरों (विधर्मी ) लोगों से युद्ध करो "सूरा-तौबा 9 :73 

तुम उन (विधर्मियों )को जहाँ पाओ क़त्ल करो ,घेरो , उनकी घात में लगे रहो , जब तक वह ( भयभीत होकर ) नमाज न पढ़ने लगें और जकात न देने लगें ( यानि मुसलमान बन जाएँ )

 सूरा -तौबा -9 :5 

2-नफ़रत और आपसी झगड़े 

इस्लाम के इतिहास से पता चलता है कि कुरान दूसरे धर्म के लोगों को और अलग विचार रखने वालों को अपना शत्रु ,क़त्ल के योग्य मानने की शिक्षा देता है .शिया सुन्नी दंगे इसी लिए होते हैं .

हे ईमान वालो तुम इन यहूदियों और ईसाइयों से दोस्ती नहीं करो , क्योंकि यह एक दूसरे के दोस्त हैं 

"सूरा -माइदा 5 :51 

ईमान वालों की सब से बढ़ कर दुश्मनी यहूदियों और मूर्तिपूजकों से होना चाहिए "

सूरा -माइदा 5 :82 

मुसलमानों को चाहिए कि वह मुसलमान के अलावा किसी गैर मुस्लिम को अपना मित्र या अपना संरक्षक नहीं समझें ,और जो ऐसा करगा वह उसका अल्लाह से कोई नाता नहीं समझ कर उन्हीं के जैसा कफिर माना जायेगा " सूरा -आले इमरान 3 :28 

3-सामाजिक असमानता 

कुरान मुसलमानों को गैर मुस्लिमों की संपत्ति पर कब्ज़ा करने की प्रेरणा देती है .और उनको अपना अधीन रखना चाहती है .इसीलिए जिहादी लूटमार करते हैं .

अल्लाह ने तुम्हें दूसरों की जीविका (रोजी रोटी ) पर ( बडाई ) अधिकार दिया है . लेकिन यह लोग चाहते हैं कि सब बराबर हो जाएँ " सूरा-नहल 16 :71 

4-पाखण्डवाद 

कुरान से प्रेरित होकर ही बड़े से बड़ा आतंकी , खुद को शांति दूत बताता है .फिर भी खुद को दूसरों से श्रेष्ठ बताता है .

तुम तो दुनिया में पैदा हुए सर्वोत्तम समुदाय हो , जो लोगों को भलाई का हुक्म देता है "

सूरा -आले इमरान 3 :110 

5-तानाशाही 

कुरान प्रजातंत्र सदा से विरोधी है .क्योंकि प्रजातंत्र में लूटमार नहीं कर सकते .मुहम्मद से लेकर गदाफी तक सभी तानाशाह थे .

जब रसूल ने किसी बात पर फैसला कर दिया , तो उसमे किसी को भी दखल करने की इजाजत नहीं है "

सूरा -अहजाब 33 :36 

6-वचनभंग 

झूठ बोलना और अपनी कसमें तोड़ देना , यह कुरान सिखाती है . इसी कारण मुहम्मद गौरी ने 17 बार कुरान की कसम तोड़ दी थी .

अल्लाह ने तुम लोगों ( मुसलमानों )पर अपनी कसमे तोड़ देना जायज ठहरा दिया है ' 

सूरा -अत तहरीम 66 :2 

7-षडयंत्र करना 

कुरान से प्रेरणा लेकर ही मुसलमान कभी शांत नहीं बैठते है .कुछ न कुछ खुराफत करते रहते हैं .जैसे जालसाजी . नकली नोट छापना इत्यादि 

अगर वे लोग ( तुम्हें पकड़ने के लिए ) योजना बनायें तो तुम उसका तोड़ निकाल लेना .और अल्लाह तो उत्तम से उत्तम तोड़ सुझाने वाला है "सूरा आले इमरान 3 :54 

हमने ऐसी चाल चली कि जिसका किसी को भी पता नहीं लगा , फिर हमने उस जाति को पूरी तरह से नष्ट कर दिया "सूरा - नम्ल 27 :50 और 51 

8-भोग विलास 

मुहम्मद के समय अरब में कुछ भी पैदा नहीं होता था . और अरब आलसी और लालची थे .इसलिए कुरान में यह आयत दी गयी है .जो मुसलमानों को काला धन जमा करने की प्रेरणा देती है .इसमे .डकैती , लूट , फिरौती सब शामिल हैं दाउद इब्राहीम कुरान पढ़ कर ही गुंडा बना होगा .

तुम्हें ( जिहाद से )अपनी पसंद कि औरतें ,सोना चांदीके ढेर ,घोड़े चौपाये पशु ,जमीन और अय्याशी के सभी साधन मिल जायेंगे "सूरा -आले इमरान 3 :14 

9-वेश्यावृत्ति और महिला उत्पीडन 

मुहम्मद साहब की 11 औरतें और करीब 43 रखैलें थी .यह कुरान की शिक्षा का नतीजा है .कुरान से प्रेरित होकर आज भी मुस्लिम दशों में औरतों के बेचा जाता है . और उनसे वेश्यावृत्ति करायी जाती है .भारत में भी हर मुस्लिम मोहल्ले में रंडियों के कोठे जरुर होते हैं .

हमने तुम्हारे लिए पत्नियों के अलावा लौंडियों ( दासियाँ , रखैलें वेश्याएं ) का भी इंतजाम किया है ( जायज बना दिया ) ताकि तुम्हें औरतों की कमी कभी नहीं हो "

 सूरा -अहजाब 33 :50 

औरतें तो खेती कि तरह है , और यह बात सभी ईमान वालों को बता दो "सूरा -2 :223 

10-अरबी साम्राज्य 

इन प्रमाणों से स्पष्ट हो जाता है कि इस्लाम कोई धर्म नहीं और कुरान कोई धर्मग्रन्थ नहीं है .बल्कि हर प्रकार के अपराध करके दुनियां को मुसलमान बनाने का अरब लोगों का एक षडयंत्र है .

अल्लाह तो यही चाहता है कि इस धरती पर रहने वाले सभी लोग सबके सब ईमान वाले ( मुसलमान ) बन जाएँ " सूरा-यूनुस 10 :99 

तुम उन से ( गैर मुस्लिम ) इतना लड़ो कि उनका निशान भी बाकी न रहे . और दुनिया में सिर्फ अलह का धर्म ( इस्लाम ) ही बाकी रह जाये " सूरा-अनफाल 8 :39 

11-दुराचार की प्रेरणा 

कुरान से प्रेरित होकर ही आतंकी , जिहादी इतने माहिर अपराधी बन जाते है कि वह बार बार वैसाही अपराध फिर से करते है . और इतने ढीठ हो जाते है कि अपने सभी गुनाहों को उचित और धार्मिक कार्य बताते हैं .

अल्लाह ने तुम्हारी आत्मा में दुराचार करने की प्रेरणा दी ,और इस काम में तुम्हें परिपूर्ण बनाया (perfected ) और फिर (पकडे जाने पर ) बचने के रास्ते भी सुझा दिए " 

सूरा -अश शम्श 91 :7 और 8 

12-रसूल का अभयदान 

जिस तरह कुरान से प्रेरित होकर मुसलमान अपराधी बन रहे हैं ,उसी तरह मुहम्मद साहब की शिक्षा के कारण हर मुस्लिम निडर होकर हर प्रकार के अपराध करते हुए भी खुद को जन्नत का अधिकारी समझता है . और अपने गुनाहों पर पछतावा प्रकट नहीं करता .

यामुर बिन याहया ने कहा कि रसूल ने हमें बताया जिबरईल सन्देश भेजा है ,जो भी अल्लाह के लिए घर से बाहर निकल कर जिहाद करेगा वह जन्नत में दाखिल होगा .हमने रसूल से पूछा यदि वह व्यक्ति व्यभिचारी और चोरी करने वाला हो तो ?रसूल बोले हाँ , तब भी ऐसे लोग जन्नत में जायेगे .

Mohammad said that angel Gabriel told him, “He who dies from your nation and believed in Allah, will go to paradise”. Mohammad asked, “what about he who committed adultery of stole”, Gabriel replied, “even so” [

Sahih El-Boukhary chapter 4, section 883, number 1386].

इस लेख का यही निष्कर्ष है कि यदि देश को अपराधमुक्त करना हो तो पहले कुरान का असली रूप लोगों के सामने पेश किया जाये .और इस्लाम की जिहादी शांति का भंडाफोड़ किया जाये .और इस कार्य में सभी देशभक्त सहयोग करें .

(200/72)


रविवार, 10 सितंबर 2023

मक्की मदनी सूरतों में अंतर क्यों ?

 इसलामी जगत में मक्का और मदीना शहर को परम पवित्र शहर माना जाता है . और आदर से इनको " मक्कतुल मुआज्जमा " और " मदीनतुल मुनव्वरा " कहा जाता है .क्योंकि इन दौनों शहरों का मुहम्मद साहिब के जीवन की घटनाओं का गहरा सम्बन्ध है .क्योंकि उनके नबूवत के 23 सालों में 13 मक्का में और 10 मदीना में व्यतीत हुए थे . और इसी दौरान कुरान की सूरतें थोड़ी थोड़ी नाजिल होती रहती थी . जिन्हें बाद में कुरान के रूप में जमा कर दिया था .वैसे तो कुरान को 114 सूरतों यानि अध्यायों में बाँट दिया गया है , लेकिन जो सूरतें मक्का में नाजिल हुई थीं , उनको " मक्की सूरतें " और जो मदीना में नाजिल हुई थीं उनको " मदनी सूरतें " कहा जाता है .यद्यपि मक्का से मदीना की दूरी केवल 210 मील या 338 कि. मी मात्र ही है . परन्तु ध्यान से पढ़ने से कुरान की मक्की और मदनी सूरतों के आदेशों . उपदेशों ,और शिक्षा में जमीन आसमान का अन्तर और विरोधाभास स्पष्ट दिखाई देता है .इसलिए यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है कि जब दोनो जगह एक ही अल्लाह और एक ही रसूल था तो मक्की और मदनी सूरतों में इतना भारी अन्तर क्यों है ?

इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए हमें मुहम्मद साहब की नबूवत के काल की प्रमुख मक्की और मदनी घटनाओं का कुरान की सूरतों और सम्बंधित हदीसों से मिलाकर देखने की जरूरत है . जो यहाँ पर दिया जा रहा है .

1 -नबूवत का प्रारंभ और विरोध 

मुहम्मद साहिब के कबीले का नाम कुरैश था , जो काफी प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित था . वहां के लोग मुहमद साहिब को , एक ईमानदार , सत्यवादी , और नर्मदिल व्यक्ति मानते थे . लेकिन कुरैश के लोग बहुदेववादी और मूर्तिपूजक थे ,और इतिहासकारों के अनुसार जब 10 अगस्त सन 610 को कुरान की पहली मक्की सूरत "अलक " ( कुरान में क्र 96 ) नाजिल हुई तो मुहम्मद साहिब ने खुद को अल्लाह का रसूल घोषित कर दिया . और उसी दिन से उनकी "रिसालत " का प्रारंभ माना जाता है . उस समय मुहम्मद साहिब की आयु 40 साल 6 महिना और 12 दिन थी .( बुखारी -जिल्द 4 किताब 55 हदीस 605 

)रिसालत से लेकर 13 तक मुहम्मद साहिब इस्लाम का प्रचार करते रहे और कुरान की आयतें नाजिल होती रहीं , लेकिन बड़ी मुश्किल से लगभग सौ लोग मुसलमान बन पाए . उस समय उनका सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी "अल नदीर बिन हारिस" था . जो एक शायर और कहानी सुनाने वाला व्यक्ति (Story Teller ) था . जो लोगों को इरान के राजाओं और " रुस्तम इसफंदियार" के किस्से सुनना कर पैसे लेता था ( इब्न इशाक पेज 133 -136 )इसलिए उसको अपने रास्ते से हटाने के लिए मुहम्मद ने मार्च 624 को उसे मरवा दिया

 (बुखारी - जिल्द 5 किताब 59 हदीस 362 ) 

यही बात दूसरी हदीस में भी है .( सही मुस्लिम -किताब 19 हदीस 4421 )

मुहम्मद साहिब मक्का में 13 साल तक इस्लाम का प्रचार करते रहे और इस दौरान कुरान की 86 सूरतें उतर चुकी थीं . इन सूरतों को "समाधानकारी (Conciliatory ) आयतें कहा जाता है .इन सूरतों में मित्रता और भाईचारे की बातें दी गयी है. 

2-हिजरत के पश्चात् 

जब मक्का के लोगों पर इस्लाम का कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो मुहम्मद साहिब 20 जून 622 को अपने लोगों के साथ मदीना चले गए और वहां "अय्यूब अंसारी " के घर रुक गए , फिर कुछ समय के बाद उसी के घर के पास मकान खरीद लिया . जहाँ आज उनकी मस्जिद है .उस समय मुसलमान यरूशलेम के मंदिर की तरफ मुंह करके नमाज पढ़ते थे . इसलए मुहम्मद साहिब ने पहिला कम यह किया की 13 मार्च सन 624 हिजरी 2 किबले को बदल दिया . और मुसलमानों को मक्का के काबा की तरफ मुंह करके नमाज पढ़ने का आदेश दे दिया .किबला बदलने के बाद से मुहम्मद साहिब के स्वभाव और विचारों में काफी परिवर्तन हो गया .वह शांति की बातें छोड़कर युद्ध करने लगे . और मदीना में रह कर अपने अंतिम 10 सालों में कई लड़ाईयां की , जिन्हें "गजवा" कहा जाता है . इन गजवा में मुसलमानों और मुहम्मद साहिब को दौलत और औरतें भी मिलीं थी . और हर लड़ाई पर कुरान की सूरत उतरती थी . जिनको " verses of sword " यानि तलवार की सूरतें कहा जाता है . कुछ प्रमुख लडाइयां इस प्रकार हैं -

3-तलवार वाली सूरतें 

जैसे जैसे लड़ाइयों से मुसलमानों लूट को धन मिलता गया उसके साथ ही जो सूरतें उतारी थीं , उनके नमूने दिए जारहे हैं ,

1.बद्र की लड़ाई -बद्र की लड़ाई 16 रमजान 2 हि० को हुई , इसमे लूट का माल मिला जो सीरिया जाने वाले काफिले से मिला और सूरा अनफाल क्र 8 उतरी.

 2.उहद की लड़ाई -उहद की लड़ाई बद्र से पहिले 9 मार्च सन 6215 शव्वाल हि ० 2 में हुई .काफिलों को लूटा .

सूरा आले इमरान क्र 3 उतरी.

3.खंदक (Ditch ) की लड़ाई -यह लड़ाई 31 मार्च 627 में हुई , बनू कुरैजा के लोगों को मार कर औरतें पकड़ी . सूरा अहजाब क्र 33 उतरी .

4.खैबर की लड़ाई -यह लड़ाई सन 629 यानि 7 मुहर्रम हि० 7 को हुई थी . इसमें 93 यहूदियों का कत्ल हुआ और सूरा निसा क्र 4 और सूरा मायदा क्र 5 उतरी .

5.तबूक की लड़ाई -यह लड़ाई 31 अक्टूबर सन 630 यानि रजब महिना हि० 9 में हुई और 3000 मुसलमानों ने मिल कर कई काफिले लूट लिए . जिस से बहुत सा धन मिला . और इसी लूट के बाद जजिया लेने की आयत सूरा तौबा 9 :49 उतरी .जिसके कारन लोगों में जिहाद के लिए प्रेरणा मिली .

इन लूटों और लड़ाइयों का नतीजा यह हुआ कि मुसलमान अध्यात्म और आत्मज्ञान की जगह संपत्ति और अय्याशी को प्राथमिकता देने लगे .और कुरान में भी वैसी ही आयतें उतरने लगीं जो मुसलमानों के स्वभाव से मेल खाती थीं ,और मक्का में उतरी हुई आयतों के बिलकुल उलटी बातें सिखाती थीं .

4-मक्की मदनी सूरतों की संख्या 

वर्त्तमान कुरान में कुल 114 सूरतें (Chapters ) हैं . कोई काफी बड़े और कोई एक दो पंक्ति के है , वर्मन में प्रथम सूरा "फातिहा " और 114 वीं सूरा "अन नास " है . मक्का में उतरने वाली पहली सूरा " अलक " है जिसका कुरान में क्रम 96 वां है और अंतिम यानि 86 वीं सूरा अन नास है . इस तरह मक्का में 13 में कुल 86 सूरतें उतरी थीं . 

इसी तरह मदीना में उतरने वाली पहली सूरा " बकरा" है जो कुरआन की दूसरी सूरा है .और मदीना में उतरने वाली अंतिम 28 सूरा" अन नस्र" है जिसका कुरान में 110 वां स्थान है .इस तरह कुरान में 86 +28 = 114 सूरतें हैं .कुछ मुस्लिम विद्वान् इस बात पर अलग राय रखत्ते हैं क्योंकि कुछ सूरतें मक्का और मदीने के बीच युद्ध में या रस्ते में उतरी थी . यह लोग माकी सूरतें 85 और मदनी सूरतें 29 बताते हैं .

5-मक्की मदनी विरोधी सूरतें 

हमें कुरान की मक्की और मदनी सूरतों की संख्या से नहीं उनकी परस्पर विरोधी आयतों से मतलब है . और यह देखना हैं की इनमे इतना विरोधाभास क्यों है . और मुसलमान किस आयत के आदेश का पालन करें . इस लिए पहले एक मक्की सूरत की आयत फिर उसके नीचे वैसीही मदनी सूरत की आयत देते हैं . ताकि लोग खुद ही निर्णय कर सकें , देखें समझने के लिए मक्की सूरतों का सन्दर्भ  बोल्ड काले रंग में और मदनी कासन्दर्भ लाल रंग में है 

1-हे नबी यह काफिर लोग तुम से जो भी कहें , उस पर सब्र करो ,और भले तरीके से अलग हो जाओ .

सूरा -मुज्जम्मिल 73 :10 

और तुम उनको जहाँ पाओ ,क़त्ल कर दो , और यहाँ से निकाल दो . सूरा बकरा 2 :191 

2-यदि कोई मुझे क़त्ल करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाएगा तो , मैं उसे क़त्ल करने के लिए हाथ बढ़ने वाला नहीं सूरा -मायदा 5 :28 

हे ईमान वालो तुम उन सभी काफिरों से लड़ो , जो तुम्हारे आसपास रहते हों 

.सूरा -अत तौबा 9 :123 

3-हे नबी तुम लोगों के साथ जबरदस्ती करने वाले नहीं हो , तुम तो उनको कुरान के द्वारा समझाने वाले हो .

सूरा-काफ 50 :45 

तुन उनसे लड़ो और अल्लाह उनको तुम्हारे हाथों से यातना दिलाकर रुसवा कराएगा

 .सूरा -तौबा 9 :14 

4-और जो लोग अंतिम दिवस पर ईमान रखेंगे और अच्छे काम करेंगे ,उनको कोई भय नहीं होगा , और न वे दुखी होंगे . सूरा 5 :69 

जो लोग सच्चे दीन (इस्लाम )को अपना धर्म नहीं मानते ,उनसे इतना लड़ो की वह रुसवा होकर खुद अपने हाथों से जजिया देने पर मजबूर हो जाएँ . सूरा -तौबा 9 :29 

5-तुम्हारे लिए तुम्हारा धर्म , और हमारे लिए हमारा धर्म . सूरा- काफिरून 109 :6 

जो लोग इस्लाम के अलावा कोई धर्म चाहेगा , तो वह कभी मंजूर नहीं होगा 

.सूरा -आले इमरान 3 :85 

6-हे नबी तुम मेरे बन्दों से कह दो की वह वाही बातें कहें जो उत्तम हों .

सूरा - बनी इस्रायल 17 :53 

हे नबी तुम इन काफिरों और मुनाफिकों पर सख्ती करते रहो . सूरा -66 :9 

7-हमने यह किताब हक़ के साथ उतारी है , जो पिछली किताबों की तस्दीक कराती है , तो तुम उन्हीं के अनुसार फैसला करो .सूरा -मायादा 5 :48 

मैं इन काफिरों के दिलों में रुआब डालता हूँ , तुम उनकी गर्दनों पर वर करो और हरेक जोड़ पर चोट लगाओ 

.सूरा -अनफ़ाल 8 :12 

यद्यपि मक्की और मदनी सूरतों की ऐसीही परस्पर विरोधी आयातें कुरआन में काफी संख्या में मौजूद हैं , लेकिन उदहारण के लिए सिर्फ थोड़ी सी आयतें दी गयीं हैं . जिन से दौनों का अंतर स्पष्ट हो सके .और इस अंतर का कारण समझ जाये .

6-अंतर का असली कारण 

अपने पिता अब्दुल्लाह के निधन के बाद मुहम्मद साहिब को उनके चाचा अबू तालिब ने पाला था , जो एक शांति पसंद व्यक्ति थे . जो व्यापर करते थे . फिर 25 साल की आयु में महम्मद साहिब ने 40 की विधवा खदीजा से शादी की थी . वह भी व्यापर करती थी . और व्यापारियों को इमानदार , सत्यवादी , मृदुभाषी होना जरुरी होता है . फिर खदीजा का भाई ईसाई था जो मक्का का बिशप था . ईसा मसीह अहिंसा की शिक्षा देते थे . खदीजा के साथ रहने से मुहम्मद का स्वभाव भी नर्म हो गया था . जो मक्की सूरतों से प्रकट होता है ,

लेकिन जब वह मदीना गए तब खदीजा गुजर चुकी थी , उनकी प्रिय पत्नी आयशा बन गयी ,वह कूटनीति में माहिर थी . करीब 68 प्रतिशत हदीसे आयशा के द्वारा कही गयी हैं . फिर जब लोग मक्का से मदीना गए तो अपना घर , संपत्ति सब वहीँ छोड़ गए थे और कंगाल थे . बाद में मुहम्मद साहिब के साथ ऐसे लोग जुड़ गए जो सत्ता के लोभी थे .वे अपने स्वार्थ के लिए मुसलमान बने थे . क्योंकि हरेक लड़ाई में उनको लूट के मालमें हिस्सा मिलता था.इसलिए वैसी ही आयतें उतरती थी जो उनके फायदे की होती थीं . जो मदनी सूरतों से पता चलता है .

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शनिवार, 9 सितंबर 2023

मुहम्मद की याददाश्त कमजोर थी !

 अगर आप कभी किसी मदरसे के पास से गुजरे होंगे ,तो जरुर देखा होगा कि मौलवी हाथों में सोटी लेकर छोटे छोटे बच्चों मार मार कर को कुरान पढ़ा रहा है .और बच्चों को ऐसी भाषा में कुरान रटा रहा है ,जिस भाषा का बच्चे एक शब्द भी नहीं समझते है .लेकिन बच्चे मौलवी की छड़ी के डर अपने दिमाग में कुरान की आयतें ही हिल हिल कर इस तरह से ठूंसने की कोशिश करते हैं ,जैसे चोर चोरी का माल जल्दी जल्दी से गठरी में भरते है .कभी अपने सोचा है कि मुसलमान समझाने की जगह तोते की तरह रटने पर क्यों जोर देते है .दुनिया में किसी देश में ,किसी भी विषय को पढ़िए ,हर जगह विषय को समझने पर जोर दिया जाता है .समझने से बुद्धि का विकास होता है .यह सत्य है .लेकिन मुसलमान उल्टा काम इसलिए करते हैं ,कि यह मुहमद की सुन्नत है . 

मुहमद अनपढ़ तो था ही .साथ में मंद बुद्धि भी था .उसकी याददाश्त इतनी कमजोर थी कि रोजमर्रा की छोटी छोटी बातें भी भूल जाता था .यहांतक अपनी बनायीं कुरान की आयातें भी भूल जाता था .और कभी उसके साथी और कभी उसकी पत्नी उसे याद दिलाती रहती थी कौन सी आयात किस सूरा में किस जगह होना चाहिए .इसी लिए लोग मुहम्मद को एक ही बात रटाते रहते थे .फिर भी जब मुहम्मद भूल जाता था तो बड़ी बेशर्मी से कह देता था कि मुझे अल्लाह ने ही यह बात ,या आयात भुला दी है . 

मुहमद पाने बचाव में यह भी कह देता था कि मैं सर्व ज्ञानी नहीं एक आम इन्सान हूँ .अपनी इन भूलों के लिए मुहम्मद अल्लाह से माफ़ी भी मांगता रहता था . 

यह सारा निष्कर्ष कुरान और हदीसों को पढ़ने पर प्राप्त होता है .देखिये कैसे - 

1 -मुहमद सर्वज्ञानी नहीं था 

"मैं गैब (छुपी हुई )बातों को नहीं जनता हूँ "सूरा -अनआम 6 :50

"जो परोक्ष कि बातें ,तुम लोग मुझसे पूछते हो ,मुझे उसका ज्ञान नहीं है .वह तो सिर्फ अल्लाह ही जानताहै "

सूरा -अल आराफ 7 :188

2 -मुहमद आम आदमी था 

"मैं तो केवल तुम्हारी ही तरह एक आम इन्सान हूँ "सूरा -अल कहफ़ 18 :110

"हे रसूल तुम अपने गुनाहों के लिए अल्लाह से दुआ करो ,और धीरज रखो "

सूरा-अल मोमिनीन 40 :55

"अल्लाह तुम्हे सुधर कर सीधे रस्ते पर लाये ,और तुम्हारे गुनाहों को माफ़ करे "सूरा -अल फतह 48 :2

"हे नबी हम तुम्हें सिखायेंगे ,ताकि तुम आगे से बार बार नहीं भूलोगे "

सूरा -अल आला 87 :6 -7

3 -मुहम्मद कुरान भूल जाता था 

"आयशा ने बताया कि जब रसूल कुरआन की कोई आयत भूल जाते थे ,तो मैं उनको बताती थी कि कौन सी आयत किस आयत के आगे या पीछे है ,और किस जगह होना चाहिए थी "

बुखारी -जिल्द 6 किताब 61 हदीस 556


"आयशा ने कहा कि जब रात को रसूल मुझे कुरान की आयतें सुनते थे ,तो मैं उनकी गलतियाँ सुधार देती थी ,और बताती थी कि फलानी आयत फलानी आयत के साथ है .और इन आयतों तरतीब (क्रम )क्या है "

सहीह मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1721


"इब्ने हिश्शाम ने कहा कि जब भी रसूल कुरान की किसी आयत को गलत तरीके से पढ़ते थे ,या कोई आयात भूल जाते थे ,तो मैं उनको टोक देता था .और उनकी गलती सुधार देता था "बुखारी -जिल्द 6 किताब 61 हदीस 657

4 -मुहम्मद नमाज भूल जाता था 

"मुआविया बिन खुदरी ने कहा कि,रसूल जब नमाज पढ़ते थे ,तो नमाज में रुकू और सजदा तक भूल जाते थे इसलिए रसूल ने एक आदमी को रखा हुआ था ,जो उनको बताता था कि वह कौन सी रकात में भूल कर रहे हैं "

अबू दाऊद-किताब 3 हदीस 1018

5 -मुहम्मद को याद दिलाया जाता था 

"अब्दुल्लाह इब्न मसूद कहा कि रसूल अक्सर कहते रहते थे कि ,मैं तो एक साधारण सा मनुष्य हूँ .और उसी तरह भूल जाता हूँ जैसे दुसरे आम आदमी भूल जाते हैं "

अबू दाऊद -किताब 3 हदीस 1015

"अब्दुल्लाह ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,मेरी याददाश्त कमजोर है ,और मैं भी तुम्हारी तरह एक साधारण इन्सान हूँ और अक्सर कई बातें भूल जाता हूँ ,यदि मैं कोई बात या किसी आयत को भूल जाया करूँ तो मुझे याद करा देना 

"बुखारी -जिल्द 1 किताब 8 हदीस 394

6 -मुहम्मद का अल्लाह पर आरोप 

"अबू हर्ब बिन अबू अल अस्वद ने कहा कि मेरे पिता अबू मूसा अल अशरी ने बताया कि एक बार बसरा से तीन सौ लोग रसूल से मिलने आये .उनमे कुछ लोग कुरान के हाफिज भी थे .और जब उन में से कुरान की 

सूरा (बनी इस्राएल 17 :13 )

 और सूरा (अस सफ्फ 61 :2 ) रसूल के सामने सुनाई तो,रसूल ने उन लोगोंसे कहा कि मैं तो इन आयतों को भूल चूका था .तुमने मुझे फिर से याद दिला दिया .मैं तुम से वादा करता हूँ कि ,क़यामत के दिन तुमसे तुम्हारे किसी भी गुनाह के बारे में कोई सवाल नहीं किया जायेगा .और मैं यह भी वादा करता हूँ कि तुम्हें सबसे पहिले प्रवेश दिया जायेगा "सही मुस्लिम -किताब 5 हदीस 2286

7 -भूल जाने पर नयी आयतें बना देना 

मुहम्मद के समय कुरान लिखित रूप में मौजूद नहीं थी ,इसलिए जब भी मुहम्मद कोई आयत या सूरा भूल जाता था ,तो दूसरी आयतें बना देता था .और किसी को पता नहीं चलता था मुहम्मद ने इस से पहिले कौनसी आयत कही थी -इसके यह प्रमाण हैं -

"जब हम कोई आयत भुलवा देते हैं ,तो उस आयत के स्थान पर वैसी ही आयत बना देते हैं ,या नयी आयत बना देते हैं .और तुम्हें इसका पता भी नहीं लगता है "

सूरा -बकरा 2 :106

"हम एक आयत कि जगह दूसरी आयत बदल देते हैं ,और हे नबी तुम तो बस नयी नयी आयतें गढ़ने वाले हो "

सूरा -अन नहल 16 :101

"सहल बिन साद ने कहा कि ,रसूल यह बात भी भूल जाते थे कि ,आज उनका रोजा है .खुजैमा ने कहा कि ,रसूल कि याददाश्त इतनी कमजोर थी कि,हम उनकी बातों को प्रमाण नहीं मानते थे .वह लोगों के नाम और घटनाएँ और यहांतक कि खुद कुरान की आयतें भी भूल जाते थे ."

बुखारी -जिल्द 3 किताब 31 हदीस 178 .और

 बुखारी जिल्द 3 किताब 31 हदीस 143

अब आप स्वयं निर्णय कर सकते हैं कि ,जो मुहमद इतना भुलक्कड़ था ,की कुरान की आयतें भी भूल जाता था .और चालाकी से नयी आयतें बना देता था .तो मुहमद की कुरान पर कैसे विश्वास किया जा सकता है .बड़े आश्चर्य की बात है कि अल्लाह को पूरी दुनिया में मुहमद के आलावा कोई और नहीं मिला था .ऐसे भुलक्कड़ की कुरान को ईश्वरीय किताब मानने वाले खुद भूल रहे हैं कि मुहमद एक साधारण आदमी था . 

यही कारण है कि ,मुसलमान बच्चों को कुरान रटाते है और समझाने कि जगह याद करवाते है .जिसका परिणाम यह है कि ,मुसलमानों में कोई बड़ा विज्ञानी ,या अन्वेषक नहीं हुआ जो विश्व स्तर का वैज्ञानिक हो .सब मुहमद कि तरह जाहिल और जिहादी हैं

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गुरुवार, 7 सितंबर 2023

इस्लाम में देशभक्ती महापाप है !

 कुरान में कुफ्र और शिर्क यह दो ऐसे महापाप बताये गए है ,जिनकी सज़ा मौत है.इन पापों को करने वाले मरने के बाद भी हमेशा नर्क में ही रहेंगे.

(कुरान सूरे मायदा9: आयत 10और 87 )

यह दो महापाप इस प्रकार हैं-

1-कुफ्र-अल्लाह और मुहम्मद से इनकार करना,और शरीयत को न मानना कुफ्र कहलाता है। और कुफ्र करने वालों को काफिर कहा जाता है।

2-शिर्क-अल्लाह के अलावा किसी देवी देवता ,या व्यक्ति अथवा किसी वस्तु की उपासना करना,वन्दना करना ,और प्रणाम करना ,यह सब शिर्क कहलाता है। शिर्क करने वालों को मुशरिक कहा जाता है ।

अल्लाह अगर चाहे तो काफिर को माफ़ भी कर सकता है ,लेकिन मुशरिक को कभी भी माफ़ नहीं करेगा।

उक्त परिभाषाओं के मुताबिक देशभक्ति शिर्क की श्रेणी में आती है.क्योंकि भारतीय हिन्दू अपने देश को भारत माता कहकर उसकी वन्दना करते है। भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित करते है,और उसे एक देवी का रूप मान कर आदर करते हैं .इसके बारे में इकबाल ने कहा था -

नौ जादा खुदाओं में ,सबसे बड़ा वतन है ,

जो पैरहन है उसका ,मज़हब का वो कफ़न है।

अर्थात- नए नए पैदा हुए देवताओं में वतन भी एक बड़ा देवता है,और इसको पहिनाने के लिए ,मज़हब के कफ़न की ज़रूरत है.तात्पर्य यह है की इस देश रूपी देवी के ऊपर कफ़न डालने की ज़रूरत है। यही कारण है की मुसलमान न तो कभी वन्देमातरम कहते हैं और न कभी भारत माता की जय बोलते हैं.यहांतक की वे योग और सूर्य नमस्कार का भी विरोध करते हैं.उनके अनुसार ऐसा करना शिर्क है।

फ़िर भी यहाँ के मुसलमान ख़ुद को देशभक्त साबित करने के लिए अक्सर कहते रहते हैं की उनके पुरखों ने देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों से जंग की थी। इसलिए दूसरों की तरह हमारा भी देश पर अधिकार है। लेकिन यह बात सरासर झूठ और भ्रामक है ।

मुसलामानों ने अंग्रेजों से जंग जरूर की थी ,लेकिन देश की आजादी के लिए नहीं .वे अंग्रेजों के दुश्मन इसलिए हो गए थे की ,अंग्रेजों ने तुर्की के खलीफा अब्दुल हमीद को उसकी गद्दी से उतार दिया था। जबकि दुनिया के सारे मुस्लिम बादशाह और नवाब खलीफा को अपना धार्मिक और राजनीतिक नेता मानते थे ,और ख़ुद को उसका नुमायन्दा मानकर ,मस्जिदों में उसके नाम का खुतबा पढाते थे। खलीफा को हटाने के कारण मुसलमान अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए ,और उन्होंने खिलाफत मूवमेंट नामका एक संगठन बना लिया था। वीर सावरकर ने इसे खुराफात मूवमेंट का  नाम दिया था।

गांधी ने सोचा की यदि स्वतंत्रता आन्दोलन में इस संगठन को भी शामिल कर लिया जाए तो आन्दोलन को और बल मिलेगा .बस यही गांधी की भूल थी .उस मूर्ख को यह पता नहीं था ,की यदि मुसलामानों की मदद से आजादी मिल भी जायेगी ,तो मुसलमान अपना मेहनताना जरूर मागेंगे .और बाद में ऐसा ही हुआ .मुसलमानों ने पाकिस्तान के रूप में अपना हिस्सा ले लिया।

दिसम्बर 1930 में इलाहबाद में आयोजित मुस्लिम लीग के अधिवेशन में इकबाल ने कहा था -

हो जाय अगर शाहे खुरासान का इशारा ,

सिजदा न करूं हिंद की नापाक ज़मीं पर।

अर्थात -यदि हमें तुर्की के खलीफा का इशारा मिल जाए तो हम इस हिन्दुस्तान की नापाक ज़मीन पर नमाज़ तक न पढेंगे .जब मुसलमानों को इस देश से इतनी नफ़रत है ,तो देशभक्ति का पाखण्ड क्यों करते हैं .और इस नापाक देश से अपना अधिकार    किस मुह से माँगते हैं। इन्हें तो चाहिए की वे यहाँ से तुंरत निकल जाएँ ।

हमें इनके झूठे भाईचारे ,गंगा जमुनी तहजीब जैसी मक्कारी भरी बातों में नही आना चाहिए। यह लोग न तो कभी देश के वफादार थे और न भविष्य में होंगे।

जय भारत 

बी एन शर्मा भोपाल 14 मार्च 2009

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